शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको | दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ||
हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको | महिमा कहे न जाय लागत हूं पदको || धृ .||
जय जय जी गणराज विध्यासुखदाता | धन्य तुमारा दर्शन मेरा मन रमता ||१ ||
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरी | विध्नविनाशन मंगलमुरत अधिकारी ||
कोटि सुरजप्रकाश ऐसी छबी तेरी | गंडस्थल मदमस्तक झुले शशिबहारी ||जय. || २ ||
भावभगतसे कोई शरणागत आवे | संतत , संपत सबही भरपूर पावे ||
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे | गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे || जय.|| ३ ||
2016-10-07